कानपुर-लखनऊ हाइवे पर आजमगढ़ जिले के अहरौली के पास पिछले दिनों हुए हादसे के शिकार गोरखपुर जिला निवासी एक व्यक्ति को परिजन बुधवार रात को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। सुबह में चार बजे उन्हें जिला अस्पताल में दाखिल किया गया।
देखने के बाद चिकित्सकों ने तीमरदारों से अस्पताल से तुंरत मरीज को ले जाने को कहा। डॉक्टर ने बताया कि यह दूसरे जिले का मामला है। यहां क्यों लाए हो, हम क्यों इलाज करें। परेशान तीमरदारों ने अब डीएम और अन्य अधिकारियों से इलाज के लिए गुहार लगाई। जिलाधिकारी एनपी सिंह के हस्तक्षेप के बाद उसे जिला अस्पताल में भर्ती किया गया।
चिकित्सकों का भगवान का रूप दिया गया है। कोरोना संक्रमण की स्थिति में विपरीत परिस्थितियों में सेवा देने पर चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों का जगह-जगह कोरोना वॉरियर्स को रूप में सम्मान भी किया जा रहा है। वहीं मंडलीय अस्पताल में ऐसे व्यवहार से मरीज के परिजनों को बहुत दुख हुआ।
बुधवार रात को जहां कोरोना संदिग्ध मरीज को भर्ती होने के लिए तीन घंटे इंतजार करना पड़ा वहीं, गुरुवार सुबह में हादसे में घायल गोरखपुर के बढ़या निवासी बबलू निषाद के इलाज से ही इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मरीज दूसरे जिले का हम क्यों भर्ती करें। यहां जगह नहीं ले जाए।
परेशान मरीज का तीमारदार इलाज के लिए दरदर भटक रहा था। अमर उजाला को जानकारी मिलने के बाद मामले के बारे में जिलाधिकारी एनपी सिंह को अवगत कराया गया। उनके हस्तक्षेप के बाद मरीज को आईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू किया गया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें