आज़मी संवाददाता
आजमगढ़ अल्लामा शिब्ली नोमानी का जन्म 3 जून 1857 को आजमगढ़ जिले के बिंदवाल गांव में हुआ था। देवबंदी स्कूल के समर्थक के रूप में उन्होंने शिक्षा प्रणाली में अंग्रेजी भाषा और यूरोपीय विज्ञान को शामिल करने का समर्थन किया था। उन्होंने आजमगढ़ में 1883 में शिब्ली नेशनल कॉलेज की स्थापना किया था। दारुल मुस्सनिफिन( शिब्ली एकेडमी) हाउस ऑफ राइटर्स की भी स्थापना शिब्ली नोमानी ने ही किया था। शिब्ली का ख्वाब था कि बड़े-बड़े विद्वान एवं ज्ञान परक शोध तथा प्रकाशन का केंद्र शिब्ली एकेडमी बने।
शिब्ली नोमानी ब्रिटिश राज्य के भारतीय उपमहाद्वीप के एक अरबी, फारसी, तुर्की ,उर्दू और इस्लामी विद्वान थे। वे कवि भी थे। उन्होंने सीरत-उन-नबी किताब लिखने के सिलसिले में सीरिया तुर्की और इजिप्ट की यात्रा पर भी गए सीरिया और वहां के बड़े आलिमों और मुफ्ती शेख मुहम्मद अब्दुल से मिले। उनकी मदद से अपनी किताब के लिए जानकारी इकठ्ठा की। शिबली नोमानी के इस सफर का खर्च भोपाल के नवाब बेगम सुल्तान जहां ने फंड किया था। 1882 में वापस हिंदुस्तान लौटे तो सर सैय्यद अहमद खां ने उन्हें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अरबी और फारसी पढ़ाने के लिए बुलाया। कई सालों तक वहां पढ़ाया।
अलीगढ़ यूनिवर्सिटी छोड़ने के बाद हजरत नोमानी ने हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी जान्इन कर ली। 1905 में हैदराबाद छोड़कर लखनउ आ गए और यही नदवा यूनिवर्सिटी मेें प्रिसिंपल बन गए। हालांकि मुख्तलिफ यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के दौरान ही हजरत नोमानी ने 1883 में शिबली कालेज की नींव डाल दी थी तब ये एक छोटा स्कूल हुआ करता था। 1895 में हाईस्कूल की मान्यता मिली। उनकी मृत्यु 18 नवंबर 1914 को हुई थी।
इस तिथि को शिब्ली डे के रूप में मनाते हैं। शिब्ली डे के पूर्व संध्या पर शिब्ली नोमानी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करते हुए बहुमुखी प्रतिभा के धनी, तथागत साहित्य सम्मान, पर्यावरण प्रहरी सम्मान, शिक्षक दर्पण सम्मान एवं राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में आलेख कर्ता शिब्ली नेशनल महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र के सहायक प्रोफेसर सह मीडिया प्रभारी डॉ वीके सिंह ने कहा कि शिब्ली के सपनों का अलख दर्शनशास्त्र विभाग जगा रहा है।
जिसका उदाहरण वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर वार्षिक परीक्षा में 2014 से 2022 तक 7 गोल्ड मेडल विभाग के छात्र-छात्राएं प्राप्त करके शिब्ली के सपनों को साकार करने का अथक प्रयास किया गया है। आने वाले वर्षों में महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय के स्नातक तथा स्नातकोत्तर वार्षिक परीक्षा में छात्रों का यह सफलता जारी रहेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें