आजमगढ़। केंद्र सरकार ने सांसद निधि दो साल के लिए स्थगित कर दी है। इससे सांसद नए काम के लिए निधि का धन नहीं जारी कर पाएंगे। इस बीच 2019-20 में सांसद निधि से प्रस्तावित कार्यों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। क्योंकि 2019-20 में सांसद निधि की जो रकम खर्च हो चुकी है, उतने कार्य तो लगभग हो गए हैं लेकिन जो काम धन के अभाव में पूरे नहीं हुए हैं, उनके अटकने की बात कही जाने लगी है कि क्या सरकार के नए नियम का पुराने कार्य पर प्रभाव पड़ेगा।
सांसदों को सरकार की ओर से अपने क्षेत्र में विकास के कार्य कराने के लिए एक वर्ष सांसद और राज्यसभा सांसद को पांच करोड़ रुपये मिलते हैं। यह रूपये ढाई-ढाई करोड़ की दो किश्तों में शासन से जारी होते हैं। इसके बाद सांसद या राज्यसभा सांसद द्वारा जो प्रस्ताव उपलब्ध कराए जाते हैं उसके हिसाब से कार्य कराया जाता है। जो कार्य स्वीकृत होता है उसका पूरा पैसा रोक लिया जाता है। अभी नई सरकार के गठन को छह महीने से ऊपर का समय ही व्यतीत हुआ है और नया वित्तीय वर्ष 2020-21 शुरू हो गया। वर्ष 2019-20 में सांसदों और राज्यसभा सांसदों के निधि की एक ही किश्त ढ़ाई करोड़ रुपये की आई है। इस किश्त से स्वीकृत कार्य तो पूरे हो जाएंगे। चूंकि अब शासन ने दो साल के लिए सांसद निधि पर रोक लगा दी है तो अब नए कार्य स्वीकृत नहीं किए जाएंगे। जो कार्य पहले के स्वीकृत हैं वह तो पूरे हो जाएंगे। लेकिन अभी तक जिला प्रशासन को शासन की ओर से कोई निर्देश नहीं प्राप्त हुआ है।
जो कार्य पहली किश्त से स्वीकृत हुए वह तो हर हाल में पूरे होंगे। उनके अटकने का कोई सवाल ही नहीं है। क्योंकि कार्य के स्वीकृत होते ही उसकी पूरी लागत पहले ही उस कार्य के लिए आरक्षित हो गई है। लेकिन नए कार्यों के लिए कोई स्वीकृति नहीं मिलेगी। - अभिमन्यु सिंह, परियोजना निदेशक, डीआरडीए
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें