आज़मी संवाददाता
“जब किसी अपने प्रिय को अपराधियों के हाथों खो चुका होता है" इसके बावजूद विवेचक द्वारा अपराधिगणो से जान बूझकर हत्यारों को साजिस में शामिल कर उनसे धन उगाही करके प्रभाव में आकर स्वतन्त्र साक्ष्य संकलन व लेखबद्ध क़ि कार्यवाही न करके शेष अभियुक्तगणों कि नामजद गलत उल्लेख करके विवेचना समाप्त कर दिया, पीड़ित गरीब माँ को केवल कार्यालय के चक्कर लगाकर थक हारकर निराश होना पडेगा, मजबूर मां ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि न्याय के लिए इतना संघर्ष करना पड़ेगा।
अब न्याय की गुहार लगाने वाली मजबूर मां कहां जाए, क्या अब विधान भवन के सामने आत्महत्या करने वाले को ही न्याय मिलेगा? पुत्र को न्याय न मिलने तक माँ ने आपने परिवार सहित जीवन त्यागने का प्रण लेकर बैठ गई है, अब न्याय मिला तो ठीक वरना योगी बाबा कि लोकप्रिय यशस्वी सुशासीत वाली सरकार का ही भरोसा फिर भी न्याय नहीं मिला पा है।
घटना प्रयागराज ग्राम-रामकापुरा, थाना-कौंधियारा तहसील-करछना, जनपद-प्रयागराज क़ि है, दिनांक 20.12.2021 को नाना प्रकार क़ि साजिस व षड्यंत्र करके हर्ष मिश्रा को मानसिक व शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करके आत्महत्या करने को मजबूर कर जान से मार दिया गया, जिसके आधार पर अपराध संख्या-279/21धारा-306 ,506,IPC तहत थाना-कौंधियारा प्रयागराज पर विरुद्ध1-वेदानन्दमिश्र 2-यज्ञानंदमिश्र 3-देवानन्दमिश्र पुत्र घनश्याममिश्रा व4-सचिनमिश्र पुत्र वेदानन्दमिश्र साजिस करता हत्यारों के विरूद्ध पंजिकृत कराया गया था बेटे के मृत्यु के12 महिने पश्चात भी गिरफ्तारी पुलिस द्वारा नहीं की गई, जिसकी विवेचना उप नि०- नविन कुमार को प्राप्त हुई मुकदमे से सम्बन्धित अभियुक्त यज्ञानंद गिरफ़्तार हुआ शेष 03 अभियुक्तों कि गिरफ्तारी विवेचक द्वारा जान बूझ कर हत्यारों को साजिस में शामिल कर उनसे धन उगाही करके प्रभाव में आकर व लाभ प्राप्त कर नहीं कि गई, जबकि पर्याप्त साछ्य मृतक पुत्र के परिजनों द्वारा उपलब्ध कराया गया था परन्तु साछ्य संकलन व लेख बध्य करने कार्यवाही न करके उन्हें उनको सुरछित कर वादिनी नीलम मिश्रा के बार-बार लिखित व मौखिक फरियाद के बावजूद पुलिस प्रशासान के आला अप्सर द्वारा भी विवेचक पर निर्भर होकर कोई क़ानूनी कार्यवाही नहीं की गई विवेचना को मात्र खाना पूर्तिकर करीब 05महीने बाद माह मई में मुक़दमे के शेष अभ्ययुक्तो कि नामजद गलत करने का उल्लेख करते हुए विवेचना समाप्त कर दी गई, जबकि मुल्जिमों द्वारा वादिनी व परिजनों को नाना प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है, परंन्तु पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जिससे प्रार्थीनी का विश्वास पुलिस प्रशासन से आहात है, उसके प्रति उत्पीड़न कि घटना कि सूचना देने पर वादिनी को ही जूठा बता कर बिना घटना जांच किए आख्या प्रेषित कर दी जिससे प्रार्थीनी को न्याय मिलने कि उम्मीद से निराश हो चुकी है। मुक़दमे में दिनांक 02.01.22,/21.01.22,/16.04.22,/05.09.2022 को घटित-घटना की लिखित सुचना देने के वावजूद विवेचक द्वारा न तो कोई कार्यवाही कि गई न तो सुरक्षा प्रदान की गई बल्कि पुलिस यह कहकर कि ज्यादा शिकायत करोगे तो तुम्हारे पूरे परिवार को जेल में डाल देंगे, तुम लोग ठीक हो जाओगे,माँ के अनुसार अल्प दिनों मे ही मामलो को पुलिस द्वारा रफा-दफा कर दिया गया, घटना के दिन से अभी तक एक माँ न्याय के लिए इधर-उधर भटक रही है, जीवन दांव पर लगाने जा रही है। यह कैसी बिडम्बना है की न्याय पाने के लिए एक और जीवन दांव पर आखिर पुलिस/प्रसासन किसको बचाने का प्रयास कर रही है, अब न्याय कब होगा, यह देखना दुर्लभ या सुलम यह समय निर्धारित करेगा या पुनः वही रवैया बना हुआ है जैसा की एक गरीब के साथ होता आया है आखिर कब तक एक मां अपने मासूम बेटे के इंसाफ की लाइन में ठोकरें खाती रहेगी,यह सोचने वाली बात है। विवेचक नविन कुमार द्वारा अपराधिगणो को शामिल कर उनसे धन उगाही करके तथा उनसे लाभ लेकर कानून को धन्धा बना लिया है, स्वर्गीय हर्ष मिश्रा से सम्बन्धित मुकदमा उपरोक्त समया अवधि के अन्दर निस्तारित करके अभियुक्तों के विरूद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही नहीं कि गई तथा वादी द्वारा प्रस्तुत किए साछियो का बयान नहीं लिया गया आरोपपत्र में लिखित गवाह किराये के गए है, तथा घटना दिनांक से पूर्व व वाद का अभियुक्तगण के मोबाइल का CDR रिपोर्ट विवेचना क्रम में नहीं निकलवाया गया, अनामिका मिश्रा मेरे स्वर्गीय पुत्र कि भतीजी लगती है हर्षमिश्रा ने उसके चाल-चलन गलत होने कि शिकायत उसके माता-पिता व दादा तथा भाई को बताया था जिससे उक्त लोगों ने आक्रोशित होकर अपनी इज्जत बचाने के लिए अपने घर पर हर्ष को बुलाकर नाना प्रकार से जान से मारने कि धमकी दिया था तथा विवेचक नविन कुमार द्वारा 03अभियुक्तों कि नामजदगी बिना साक्छ व सबूत संकलन किए गलत कर दी गयी मेरे द्वारा विवेचक को दिये गये सबूत व साक्छी का बयान नही लिया गया व मुल्जिमों को बचाने के लिए मुक़दमा काफी दिनों तक लंबित रखकर समया अवधि समाप्त होने पर नामजदगी गलत कर दी गई तथा साक्ष्य को कपोल कल्पित जांच आख्या मा० न्यायलय में प्रेसित कर इतिश्री कर दिया, प्रशासन से न्याय न मिलने की उम्मीद असहाय को अब नहीं है मात्र ईश्वर के भरोसे न्याय कि उम्मीद लगाये जीवित है। गलत तरिके से बचाऐ गये मुल्जिमों के सम्बन्ध में पुनः विवेचना कराए जाने कि आवश्य्कता है तथा विवेचक द्वारा लापरवाही पूर्वक विवेचना कर मुल्जिमों को बचाने के सम्बद्ध में भी जांच कि आवश्यता है जिससे वादिनी निरीह अबला महिला को न्याय मिल सके व दोषियो को दण्ड मिल सके।
निवेदन है की विवेचना व कार्यवाही निष्पक्ष यदि अन्य सेल से नहीं कराये जाने व उक्त सन्दर्भित जांच जनपदीय अधिकारी से न कराकर किसी अन्य सक्षम अधिकारी से निष्पक्ष जांच कराये जाने की मांग पार्थिनी वादिनी द्वारा अनेको बार आवेदन दे कर की गयी परन्तु मामले को मामले जॉच उप.नि.नविन कुमार को सुपुर्द कर आख्या प्राप्त की गयी तो, मेरे द्वारा प्रेषित प्रार्थना पत्र में विवेचक व स्थानीय पुलिस तुस्टीकरण कर कार्यवाही करने व आवाज न उठाने की धमकी देकर मुझे नाना प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है तथा जांच प्रक्रिया सही ढंग से नहीं किया गया है, उक्त प्रकरण की जांच किसी अन्य सेल से कराकर मुक़दमे के नामजद्दी गलत किये अभियुक्तों को तथा लापरवाही बरतने वाले विवेचना व् दोषी पायेजाने के विरुद्ध दंडात्मक वैधानिक कार्यवाही करने कि कृपा करें।
अतः पीड़िता को न्याय न मिलने से अवश्य ही मेरे परिवार को मजबूर होकर बेटे के लिए न्याय के लिए विधान भवन के सामने सामूहिक परिवार सहित आत्महत्या करना पड़ेगा|
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